भेड़ और सियार की कथा (Fighting Goats And Jackal)
इधर देवशर्मा दैनिक कार्यों से निवृत्त हो कर वापस लौट रहा था तभी उसने मार्ग में दो क्रुद्ध भेड़ों को आपस में लड़ते देखा | देवशर्मा ठिठक कर झाडियो के पीछे खड़ा हो गया और उनके युद्ध को देखने लगा | भेड़ों ने सीगों के प्रहार से एक दूसरे को घायल कर दिया था, और उनके शरीरों से रक्त बह रहा था | रक्त बह कर भूमि पर गिरने लगा | तभी वहाँ पर एक सियार आ पहुंचा, और भूमि पर पड़े रक्त को चाटने लगा | धीरे- धीरे सियार रक्त चाटने के लालच में दोनों भेड़ों के युद्ध के बीच में आ खड़ा हुआ |
इधर देवशर्मा दैनिक कार्यों से निवृत्त हो कर वापस लौट रहा था तभी उसने मार्ग में दो क्रुद्ध भेड़ों को आपस में लड़ते देखा | देवशर्मा ठिठक कर झाडियो के पीछे खड़ा हो गया और उनके युद्ध को देखने लगा | भेड़ों ने सीगों के प्रहार से एक दूसरे को घायल कर दिया था, और उनके शरीरों से रक्त बह रहा था | रक्त बह कर भूमि पर गिरने लगा | तभी वहाँ पर एक सियार आ पहुंचा, और भूमि पर पड़े रक्त को चाटने लगा | धीरे- धीरे सियार रक्त चाटने के लालच में दोनों भेड़ों के युद्ध के बीच में आ खड़ा हुआ |
देवशर्मा ने सियार के इस व्यवहार को देख कर मन में विचार किया- “यह सियार कितना मूर्ख है जो रक्त के लालच में इन भेड़ों के बीच में आ खड़ा हुआ है | यदि यह इन भेड़ों के सींगों की टक्कर के बीच में आ गया तो निश्चय ही मर जाएगा |” कुछ समय पश्चात ऐसा ही हुआ | भेड़ के सर से बहते रक्त को चाटने की कोशिश में सियार दोनों भेड़ों के सींगों की टक्कर के बीच में आ गया और मारा गया| देवशर्मा ने अपने मन में उक्त घटना को स्मरण करते हुए सोचा –“लालच में अंधे होकर कोई काम नहीं करना चाहिए |” और धीरे-धीरे अपने पूर्व स्थान की और बढ़ने लगा|
वापस आकर उसने अषाढ़ भूति को को धन की पोटली समेत गायब पाया | शीघ्र ही देवशर्मा को सारा माजरा समझ आ गया और बिलखकर रोने लगा – “ अरे अषाढ़ भूति ! मुझे लूटकर तुम किधर चले गए? मुझे उत्तर दो |”
नकटी दूतिका की कथा
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वापस आकर उसने अषाढ़ भूति को को धन की पोटली समेत गायब पाया | शीघ्र ही देवशर्मा को सारा माजरा समझ आ गया और बिलखकर रोने लगा – “ अरे अषाढ़ भूति ! मुझे लूटकर तुम किधर चले गए? मुझे उत्तर दो |”
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