भारत की जलवायु एवं मध्य प्रदेश में मौसम की स्थिति
मित्रों जैसा की आप जानते ही हैं कि भारत की जलवायु विश्वभर में काफी प्रसिद्ध है | भारत की जलवायु में क्षेत्र के अनुसार काफी विविधताएं पाई जाती हैं | भारत में हिमालय पर्वत उत्तर में स्थित है और हिमालय पर्वत के समीप स्थित तिब्बत के पठार की स्थिति के साथ ही भारत के पश्चिम में थार के मरुस्थल और भारत के दक्षिण में हिंद महासागर की स्थिति भारत को विश्व के मानचित्र में महत्वपूर्ण स्थान प्रदान करती है | हिमालय की पर्वत श्रंखलाएं पश्चिम में हिंदू कुश पर्वत के साथ मिलकर अफगानिस्तान भारत और पाकिस्तान के क्षेत्रों की सुदूर उत्तर से आने वाली अत्यंत ठंडी कटाबैटिक हवाओं से रक्षा करती है |
मित्रों जैसा की आप जानते ही हैं कि भारत की जलवायु विश्वभर में काफी प्रसिद्ध है | भारत की जलवायु में क्षेत्र के अनुसार काफी विविधताएं पाई जाती हैं | भारत में हिमालय पर्वत उत्तर में स्थित है और हिमालय पर्वत के समीप स्थित तिब्बत के पठार की स्थिति के साथ ही भारत के पश्चिम में थार के मरुस्थल और भारत के दक्षिण में हिंद महासागर की स्थिति भारत को विश्व के मानचित्र में महत्वपूर्ण स्थान प्रदान करती है | हिमालय की पर्वत श्रंखलाएं पश्चिम में हिंदू कुश पर्वत के साथ मिलकर अफगानिस्तान भारत और पाकिस्तान के क्षेत्रों की सुदूर उत्तर से आने वाली अत्यंत ठंडी कटाबैटिक हवाओं से रक्षा करती है |
कर्क रेखा, मकर रेखा एवं भूमध्य रेखा - दोस्तों, यहां पर आप को यह बात बताना महत्वपूर्ण है कि भूगोलीय आधार पर भारत कर्क रेखा पर स्थित है और यहां के भूमि पर इसका प्रभाव स्पष्ट रुप से दृष्टिगोचर होता है | भारत की जलवायु मुख्य रूप से उष्णकटिबंधीय है | भारत में कर्क रेखा मध्य प्रदेश के उज्जैन शहर से होकर गुजरती है। जयपुर के महाराजा जयसिंह द्वितीय ने इस कारण ही यहां एक वेधशाला बनवाई जिसे जंतर मंतर कहा जाता हैं। चूँकि खगोल-शास्त्र तथा काल-गणना के अध्ययन के हिसाब से इस वेधशाला को महत्वपूर्ण माना जता है, अतएव यहां से अधिकतर हिन्दू पंचांग का प्रकाशन भी किया जाता है । कर्क रेखा के समानान्तर दक्षिणी गोलार्ध में भी एक रेखा होती है जिसे मकर रेखा कहा जाता है । इन दोनो के बीचो-बीच भूमध्य रेखा स्थित होती हैं। कर्क रेखा से मकर रेखा के बीच के स्थान को उष्णकटिबन्ध जलवायु वाला क्षेत्र कहा जाता हैं।
कैसे आता है भारत में मॉनसून ? – दोस्तों, भारत में मॉनसून बंगाल की खाड़ी वाली मॉनसूनी पवनों और अरब सागर वाली मॉनसूनी पवनों के द्वारा आता है | भारत के उत्तर पश्चिम में राजस्थान राज्य में स्थित थार का मरुस्थल गर्मी का मौसम आते-आते अत्यंत गर्म हो जाता है, जिससे इस क्षेत्र में निम्न वायुदाब का केंद्र बन जाता है, जो दक्षिण पश्चिमी मानसून को अपनी ओर खींचना शुरु कर देता है | कुछ ऐसा ही भारत के पूर्व में स्थित बंगाल की खाड़ी के ऊपर भी होता है | इस प्रकार भारत में दक्षिण पश्चिम तटीय प्रदेशों तथा पूर्व दिशा में बंगाल की खाड़ी से मॉनसूनी हवाओं के आगमन के साथ वर्षा प्रारंभ हो जाती है | साधारणतः मानसून सर्वप्रथम भारत के दक्षिण में स्थित केरल के तटों पर जून महीने के प्रथम पाँच दिनों में प्रकट हो ही जाता है। इधर भारत के पूर्व दिशा में स्थित बंगाल की खाड़ी के ऊपर से बहने वाली मॉनसूनी पवनों के द्वारा मॉनसून साधारणतः 7 जून तक कोलकाता शहर पहुँच जाता है और बड़ी तेजी से जून के प्रथम दो सप्ताह में ही असम तक फैल जाता है । भारत के पश्चिम दिशा में स्थित अरब सागर से आने वाली मॉनसूनी हवाएं उत्तर की ओर बढ़ते हुए लगभग 10 जून तक मुम्बई शहर पहुँच जाती है। यहाँ से मॉनसून उत्तर की ओर बढ़ता है और भारत के अधिकांश भागों पर जून के अन्त तक पूरी तरह छा जाता है। अंत में बंगाल की खाड़ी वाली मॉनसूनी हवा और अरब सागर वाली मॉनसूनी हवा पूर्णतयः एक धारा में सम्मिलित हो जाती हैं जिससे सम्पूर्ण भारत के शेष बचे हुए प्रदेश 1 जुलाई तक मॉनसून की प्रथम बौछार अनुभव करते हैं । भारत में मॉनसून की अवधि सामान्यतः चार महीने की होती है जो की 1 जून से प्रारंभ होकर सितम्बर के महीने तक होती है।
भारत में मौसम - दोस्तों, भारत में मुख्य रूप से सर्दी का मौसम, गर्मी का मौसम, बरसात का मौसम, और शरद ऋतु का मौसम होता है, पर मौसमविद भारतीय मौसम को मुख्य रुप से छः भागों बसंत, गर्मी, बरसात, हेमन्त, शरद एवं शिशिर ऋतु में बांटते हैं, और इस प्रकार भारत में मौसम के अनुसार पर्याप्त विविधता देखने को मिलती है |
1. स्प्रिंग अथवा बसंत ऋतू – यह मुख रूप से मिड मार्च से मिड मई (From Mid-March - Mid-May) अर्थात हिंदी कैलेण्डर के चैत्र महीने से बैसाख महीने तक होती है |
2. समर अथवा ग्रीष्म ऋतू – यह मुख रूप से मिड मई से मिड जुलाई (From Mid- May - Mid- July) अर्थात हिंदी कैलेण्डर के जेठ महीने से आषाढ़ महीने तक होती है |
3. रैन अथवा वर्षा ऋतू – यह मुख रूप से मिड जुलाई से मिड सितम्बर (From Mid- July - Mid- September) अर्थात हिंदी कैलेण्डर के श्रावण महीने से भाद्र महीने तक होती है |
4. Autumn अथवा पतझड़ ऋतू – यह मुख रूप से मिड सितम्बर से मिड नवम्बर (From Mid- September - Mid- November) अर्थात हिंदी कैलेण्डर के आश्विन महीने से कार्तिक महीने तक होती है |
5. Fall Winter अथवा शरद ऋतू – यह मुख रूप से मिड नवम्बर से मिड जनवरी (From Mid- November - Mid- January) अर्थात हिंदी कैलेण्डर के मार्गशीर्ष महीने से पौष महीने तक होती है |
6. Winter अथवा हेमंत एवं शिशिर ऋतू – यह मुख रूप से मिड जनवरी से मिड मार्च (From Mid- January - Mid- March) अर्थात हिंदी कैलेण्डर के माघ महीने से बैसाख महीने तक होती है । मौसमविद शीत ऋतू को दो भागों में विभक्त करते है। हल्के गुलाबी जाड़े को हेमंत ऋतु का नाम दिया गया है तथा तीव्र एवं तीखी ठण्ड को शिशिर ऋतु का नाम दिया गया है ।
तापमान का वितरण- मौसम के साथ-साथ भारत में तापमान के वितरण में भी पर्याप्त विविधता पाई जाती है जैसे कि भारत के समुद्रतटीय प्रदेशों में वर्ष भर एक सा तापमान बना रहता है जबकि वह क्षेत्र जो समुद्र तल से दूर है वहां पर मौसम के अनुसार तापमान में विविधता पाई जाती है | भारत के उत्तरी मैदानों और थार के मरुस्थल की रेतीली भूमि मैं तापमान मौसम के अनुसार परिवर्तित होता रहता है | वर्षा के आधार पर भी भारत की भौगोलिक क्षेत्रों में विविधता पाई जाती है उदाहरण के लिए भारत के पश्चिमी घाट और पश्चिमी तट तथा भारत के पूर्वोत्तर की हिमालय और उससे सटी पर्वतीय पहाड़ियों में वर्ष भर बारिश होती रहती है | पूर्वोत्तर में ही मौसिनराम नामक क्षेत्र विश्व में सर्वाधिक वर्षा वाला स्थान बन चुका है जिसमें वर्ष भर सबसे ज्यादा बारिश होती रहती है |
कैसे आता है भारत में मॉनसून ? – दोस्तों, भारत में मॉनसून बंगाल की खाड़ी वाली मॉनसूनी पवनों और अरब सागर वाली मॉनसूनी पवनों के द्वारा आता है | भारत के उत्तर पश्चिम में राजस्थान राज्य में स्थित थार का मरुस्थल गर्मी का मौसम आते-आते अत्यंत गर्म हो जाता है, जिससे इस क्षेत्र में निम्न वायुदाब का केंद्र बन जाता है, जो दक्षिण पश्चिमी मानसून को अपनी ओर खींचना शुरु कर देता है | कुछ ऐसा ही भारत के पूर्व में स्थित बंगाल की खाड़ी के ऊपर भी होता है | इस प्रकार भारत में दक्षिण पश्चिम तटीय प्रदेशों तथा पूर्व दिशा में बंगाल की खाड़ी से मॉनसूनी हवाओं के आगमन के साथ वर्षा प्रारंभ हो जाती है | साधारणतः मानसून सर्वप्रथम भारत के दक्षिण में स्थित केरल के तटों पर जून महीने के प्रथम पाँच दिनों में प्रकट हो ही जाता है। इधर भारत के पूर्व दिशा में स्थित बंगाल की खाड़ी के ऊपर से बहने वाली मॉनसूनी पवनों के द्वारा मॉनसून साधारणतः 7 जून तक कोलकाता शहर पहुँच जाता है और बड़ी तेजी से जून के प्रथम दो सप्ताह में ही असम तक फैल जाता है । भारत के पश्चिम दिशा में स्थित अरब सागर से आने वाली मॉनसूनी हवाएं उत्तर की ओर बढ़ते हुए लगभग 10 जून तक मुम्बई शहर पहुँच जाती है। यहाँ से मॉनसून उत्तर की ओर बढ़ता है और भारत के अधिकांश भागों पर जून के अन्त तक पूरी तरह छा जाता है। अंत में बंगाल की खाड़ी वाली मॉनसूनी हवा और अरब सागर वाली मॉनसूनी हवा पूर्णतयः एक धारा में सम्मिलित हो जाती हैं जिससे सम्पूर्ण भारत के शेष बचे हुए प्रदेश 1 जुलाई तक मॉनसून की प्रथम बौछार अनुभव करते हैं । भारत में मॉनसून की अवधि सामान्यतः चार महीने की होती है जो की 1 जून से प्रारंभ होकर सितम्बर के महीने तक होती है।
भारत में मौसम - दोस्तों, भारत में मुख्य रूप से सर्दी का मौसम, गर्मी का मौसम, बरसात का मौसम, और शरद ऋतु का मौसम होता है, पर मौसमविद भारतीय मौसम को मुख्य रुप से छः भागों बसंत, गर्मी, बरसात, हेमन्त, शरद एवं शिशिर ऋतु में बांटते हैं, और इस प्रकार भारत में मौसम के अनुसार पर्याप्त विविधता देखने को मिलती है |
1. स्प्रिंग अथवा बसंत ऋतू – यह मुख रूप से मिड मार्च से मिड मई (From Mid-March - Mid-May) अर्थात हिंदी कैलेण्डर के चैत्र महीने से बैसाख महीने तक होती है |
2. समर अथवा ग्रीष्म ऋतू – यह मुख रूप से मिड मई से मिड जुलाई (From Mid- May - Mid- July) अर्थात हिंदी कैलेण्डर के जेठ महीने से आषाढ़ महीने तक होती है |
3. रैन अथवा वर्षा ऋतू – यह मुख रूप से मिड जुलाई से मिड सितम्बर (From Mid- July - Mid- September) अर्थात हिंदी कैलेण्डर के श्रावण महीने से भाद्र महीने तक होती है |
4. Autumn अथवा पतझड़ ऋतू – यह मुख रूप से मिड सितम्बर से मिड नवम्बर (From Mid- September - Mid- November) अर्थात हिंदी कैलेण्डर के आश्विन महीने से कार्तिक महीने तक होती है |
5. Fall Winter अथवा शरद ऋतू – यह मुख रूप से मिड नवम्बर से मिड जनवरी (From Mid- November - Mid- January) अर्थात हिंदी कैलेण्डर के मार्गशीर्ष महीने से पौष महीने तक होती है |
6. Winter अथवा हेमंत एवं शिशिर ऋतू – यह मुख रूप से मिड जनवरी से मिड मार्च (From Mid- January - Mid- March) अर्थात हिंदी कैलेण्डर के माघ महीने से बैसाख महीने तक होती है । मौसमविद शीत ऋतू को दो भागों में विभक्त करते है। हल्के गुलाबी जाड़े को हेमंत ऋतु का नाम दिया गया है तथा तीव्र एवं तीखी ठण्ड को शिशिर ऋतु का नाम दिया गया है ।
तापमान का वितरण- मौसम के साथ-साथ भारत में तापमान के वितरण में भी पर्याप्त विविधता पाई जाती है जैसे कि भारत के समुद्रतटीय प्रदेशों में वर्ष भर एक सा तापमान बना रहता है जबकि वह क्षेत्र जो समुद्र तल से दूर है वहां पर मौसम के अनुसार तापमान में विविधता पाई जाती है | भारत के उत्तरी मैदानों और थार के मरुस्थल की रेतीली भूमि मैं तापमान मौसम के अनुसार परिवर्तित होता रहता है | वर्षा के आधार पर भी भारत की भौगोलिक क्षेत्रों में विविधता पाई जाती है उदाहरण के लिए भारत के पश्चिमी घाट और पश्चिमी तट तथा भारत के पूर्वोत्तर की हिमालय और उससे सटी पर्वतीय पहाड़ियों में वर्ष भर बारिश होती रहती है | पूर्वोत्तर में ही मौसिनराम नामक क्षेत्र विश्व में सर्वाधिक वर्षा वाला स्थान बन चुका है जिसमें वर्ष भर सबसे ज्यादा बारिश होती रहती है |