विष्णु का रूप धारण करने वाले बुनकर और राज-कन्या की कथा
किसी नगर में एक बुनकर और रथकार मित्र होकर रहते थे ! वचपन से ही एक साथ रहने से उन दोनों में इतना स्नेह हो गया था कि वे सव जगहों में एक साथ विहार करते हुए समय बिताते थे । एक समय उस नगर के किसी मंदिर में यात्रोत्सव हुआ । वहाँ भिन्न-भिन्न देशों से आए हुए लोगों से भरे स्थान में घूमते हुए दोनों मित्रों ने हथिनी पर सवार अत्यंत रूपवान किसी राज- कन्या को देखा जो देवता-दर्शन को आई हुई थी ।
किसी नगर में एक बुनकर और रथकार मित्र होकर रहते थे ! वचपन से ही एक साथ रहने से उन दोनों में इतना स्नेह हो गया था कि वे सव जगहों में एक साथ विहार करते हुए समय बिताते थे । एक समय उस नगर के किसी मंदिर में यात्रोत्सव हुआ । वहाँ भिन्न-भिन्न देशों से आए हुए लोगों से भरे स्थान में घूमते हुए दोनों मित्रों ने हथिनी पर सवार अत्यंत रूपवान किसी राज- कन्या को देखा जो देवता-दर्शन को आई हुई थी ।